तुमसे
बोल रही हूँ,
तुमतो
सुनते होगे ना?
मेरे
जैसे तुम भी
धागे
बुनते होगे ना?
इस
फंदे में देखो मेरी
ऊँगली
उलझ गयी
बुनते
बुनते, तुम भी
आँखें
मुनते होगे ना?
क्या
बुन डाला?
आड़े
टेढ़े बन्धन ये बर्बाद।
कहीं
शिला की अडिग दीवारें
कहीं
पे ये उन्माद!
लाओ
उधेड़ो ये जंजाल
फिर
से करो जतन
इसको
खोलो, उसको बाँधो,
उसका
करो पतन
हाँ
अब जा कर बूझ
रहें हैं
अंतिम
दोनो छोर
दूर
ही रखना, पास ना लाना
एक
दूजे की ओर
बड़ा
संदिग्ध है, भ्रम जैसा
ये
मन
में एक आह्लाद
काट
दिया क्या पाश मेरा?
क्या
हो गया मैं आज़ाद?
नहीं
नहीं ऐसा मत करना
ये
पाश है मेरा घर...
गृह
प्रवेश रखा है आज
तुम
भी आते अगर...
तुमसे
बोल रही हूँ
तुम
तो सुनते होगे ना?
घर
में नयी दीवारें तुम
भी
चुनते
होगे ना?
असमंजस
में कैसे हो?
हूँ
मैं तुम्हारे साथ।
आओ
फिर से करते हैं,
आज़ादी
की बात...
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