virtuals
Monday, 24 April 2017
सान्त्वना
आज असीम की ओर अगर देखा होता,
आज न जाने क्या लेखा जोखा होता!
अच्छा है ये नयन शिला से बन बैठे...
ह्रदय में वरना आज कोई शिला होती,
शिला पे वरना फूल कोई खिला होता...
क्या करता मैं उसका?
तस्वीर इन्टरनेट से ली गयी है.
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