Thursday 10 June 2010

मैं और मेरा साया


मैं अपने साये का पीछा
करता हूँ, पर डरता हूँ
वो मेरी छोटी सी बात
को समझे ना समझे

मेरे पैरों से उलझा
वो मुझसे उलझन खोले
मैं उससे उलझूं,
फिर कोई,
मुझसे उलझे न उलझे

वो अपनी बाहें फलाये
कहता के मैं छल हूँ
आओ मुझमें मिल जाओ
मैं बस पल दो पल हूँ

लेकिन मेरे अलिंगन में
वो इतना खो जाए
अपनी खोज में मुझसे आगे
धीरे से बढ़ जाए

मैं इस पर अपने साए से
लड़ता हूँ, पर डरता हूँ
वो मेरी छोटी सी बात
को समझे न समझे...

(स्वरचित तस्वीर)

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