लो मरी भी हो गई लाल
लिखते लिखते ये स्याही
अब मैं भी सड़कों पे आया
मैं भी बन बैठा राही
जो टूट गया घर मेरा
और टूटा मेरा घेरा
तो मैं भी बन असीम सा नाचूँ
धरा गगन का फेरा
अब मेरे भी बच्चे मर
मैं जैसे पगला घोड़ा
पहली बार यूँ बिन लगाम
इस कोने उस दौड़ा
अपने लिए और बस अपने
पागलपन के ख़ातिर
ये देखो ये गिरा पड़ा
घुड़सवार जो शातिर...
तो इतना सा एकांत मेरा
कैसी आज़ादी लाया
मैं पटख़ पटख़ सिर अपना
चौराहों पे चिल्लाया
जब लिखते लिखते ये स्याही
लो मेरी भी हो गई लाल
तब मैं भी चिथड़न जोड़ूं
और बटोरूँ अपना हाल
तस्वीर इन्टरनेट से ली गयी है.
लिखते लिखते ये स्याही
अब मैं भी सड़कों पे आया
मैं भी बन बैठा राही
जो टूट गया घर मेरा
और टूटा मेरा घेरा
तो मैं भी बन असीम सा नाचूँ
धरा गगन का फेरा
अब मेरे भी बच्चे मर
मैं जैसे पगला घोड़ा
पहली बार यूँ बिन लगाम
इस कोने उस दौड़ा
अपने लिए और बस अपने
पागलपन के ख़ातिर
ये देखो ये गिरा पड़ा
घुड़सवार जो शातिर...
तो इतना सा एकांत मेरा
कैसी आज़ादी लाया
मैं पटख़ पटख़ सिर अपना
चौराहों पे चिल्लाया
जब लिखते लिखते ये स्याही
लो मेरी भी हो गई लाल
तब मैं भी चिथड़न जोड़ूं
और बटोरूँ अपना हाल
तस्वीर इन्टरनेट से ली गयी है.
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